कल्पना कीजिए कि कोई व्यक्ति अपनी प्यारी संपत्ति, जैसे कि एक घर, एक खेत, या कुछ पैसे, हमेशा के लिए किसी अच्छे काम के लिए समर्पित कर देता है। यह समर्पण इस तरह से किया जाता है कि संपत्ति का मालिकाना हक तो अल्लाह (ईश्वर) का हो जाता है, लेकिन उसका लाभ लोगों तक पहुँचता रहता है। बस, इसी समर्पण को वक्फ कहते हैं।
यह ऐसा है जैसे आपने अपना पसंदीदा खिलौना किसी ऐसे संगठन को दे दिया जो गरीब बच्चों की मदद करता है। अब उस खिलौने के मालिक आप नहीं रहे, लेकिन उस खिलौने से गरीब बच्चों को खुशी मिलती रहेगी। इसी तरह, वक्फ करने वाला व्यक्ति अपनी संपत्ति का मालिक नहीं रहता, लेकिन उसकी संपत्ति से ज़रूरतमंदों को फायदा होता रहता है।
वक्फ का मकसद हमेशा नेक होता है, जैसे कि गरीबों की मदद करना, शिक्षा को बढ़ावा देना, मस्जिदों और मदरसों का निर्माण और रखरखाव करना, अस्पतालों और पुस्तकालयों का संचालन करना, या किसी भी तरह का सार्वजनिक कल्याण का कार्य करना।
वक्फ एक तरह का स्थायी दान है। एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ कर दी जाती है, तो उसे बेचा या किसी और उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। उसकी मूल स्थिति हमेशा बनी रहती है और उससे होने वाली आय या लाभ को केवल वक्फ के उद्देश्य के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है।
भारत में वक्फ बोर्ड होते हैं जो इन वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं, यह सुनिश्चित करते हैं कि उनका सही तरीके से इस्तेमाल हो और उनसे होने वाला लाभ ज़रूरतमंदों तक पहुँचे।
तो, संक्षेप में, वक्फ एक ऐसा नेक काम है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को हमेशा के लिए अल्लाह के नाम पर समर्पित कर देता है ताकि उससे लोगों को फायदा होता रहे। यह एक तरह का सदा चलने वाला दान है। कैसा लगा आपको यह? क्या आप इसके बारे में और कुछ जानना चाहेंगे?